जमशेदपुर, फरवरी 20 -- पूर्वी सिंहभूम सहित कोल्हान के अस्पतालों में भर्ती 13 फ़ीसदी मरीजों को उनके परिजन या दोस्त खून देते हैं। शेष 87 फ़ीसदी मरीजों की जान दूसरों के खून से ही बचती है। एमजीएम, सदर सहित अन्य अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर हुए अध्ययन से इसका खुलासा हुआ है। कोल्हान के ग्रामीण इलाकों में आज भी खून देने को लेकर जागरूकता की कमी है। लोगों में भय है कि खून देने से कमजोरी होती है। इस कारण वे अपने परिजनों को भी खून देने से बचते हैं। ऐसी स्थिति में वे वॉलंटरी डोनेशन से खून दिलवाना चाहते हैं। दो दिन पहले एमजीएम में एक मरीज के पति राघवेंद्र पत्नी के लिए खून मांगने प्रशासनिक भवन पहुंचे। जब उन्हें खून के बदले खून देने को कहा गया तो बहाने बनाने लगे। उनका कहना था कि खून देने से कमजोरी हो जाएगी। वहीं, उनकी मां भी बहू को खून देने के लिए तैयार...