नई दिल्ली, दिसम्बर 14 -- नई दिल्ली। एक संसदीय समिति ने भूमिगत कोयला खनन की अनुमति के लिए नीति को सरल बनाने और मानकीकृत प्रोटोकॉल अपनाने का सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि बड़ी खुली कोयला खदानों जैसी जटिल मंजूरी प्रक्रिया लागू किए जाने से कम पर्यावरणीय प्रभाव वाली परियोजनाओं में भी देरी होती है। सरकार ने 2030 तक भूमिगत कोयला खदानों से 10 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा, समिति ने खुले में खनन के लिए भी एकल-खिड़की मंजूरी प्रणाली के तहत मानक संदर्भ शर्तें (टीओआर) और एसओपी लागू करने की सिफारिश की है।
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