नई दिल्ली, नवम्बर 11 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कॉप 30 में पेश की गई जर्मनवॉच की नई रिपोर्ट जलवायु जोखिम सूचकांक 2026 ने एक बार फिर याद दिलाया है कि जलवायु संकट अब भविष्य की नहीं, वर्तमान की बात है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 से 2024 के बीच दुनियाभर में 9,700 से ज्यादा चरम मौसम की घटनाओं में 8.32 लाख लोगों की मौत हुई और 4.5 खरब डॉलर (मुद्रास्फीति समायोजित) का आर्थिक नुकसान हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1995 से 2024 के बीच बार-बार हो रही चरम मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल है। रिपोर्ट बताती है कि इस अवधि में भारत दुनिया के दस सबसे अधिक प्रभावित देशों में नौवें स्थान पर है। भारत को बाढ़, चक्रवात, लू और सूखे जैसी आपदाओं ने बार-बार झकझोरा है। देश के कई हिस्सों में चरम मौसम अब एक आवर्ती संकट बन चुका है। रिपोर्ट को पर्यावर...