आगरा, मार्च 31 -- दवा प्रतिनिधि यानी (एमआर) देखने में प्रोफेशनल नौकरी है, लेकिन इन प्रतिनिधियों की समस्याओं को जानेंगे तो अचंभित हो जाएंगे। बेहद कम सैलरी पर घंटों काम करने के बाद भी दवा कंपनियां इनका बीमा तक नहीं कराती हैं। हर समय फील्ड पर रहने के दौरान हादसों का खतरा रहता है। सड़क हादसे में घायल होने पर इन्हें इलाज भी खुद के पैसे से कराना पड़ता है। बड़ी बात ये है कि इन्हें जवानी में ही रिटायर कर दिया जाता है। हिन्दुस्तान संवाद के दौरान इन प्रतिनिधियों ने भी अपने हक की बात रखी। कहा कि सरकार के स्तर से उन्हें भी आजीविका के ठोस साधनों की आवश्यकता है। प्रतिनिधियों को डॉक्टरों से मिलने के लिए पहले से ही समय लेना पड़ता है। कहीं-कहीं अस्पतालों में एक समय निर्धारित भी होता है। इसी समय में दवा प्रतिनिधि डॉक्टरों से मिलते हैं और उन्हें अपनी नई दवा के ...