नई दिल्ली, अक्टूबर 10 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर की जेलों में बंद लगभग 4.5 लाख विचाराधीन कैदियों के मताधिकार को मान्यता देने की मांग वाली जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की इस दलील पर गौर किया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत लगाया गया वर्तमान पूर्ण प्रतिबंध संवैधानिक गारंटी और अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन करता है। पंजाब के पटियाला निवासी सुनीता शर्मा द्वारा दायर याचिका में विधि एवं न्याय मंत्रालय के माध्यम से केंद्र और चुनाव आयोग को प्रतिवादी बनाया गया है।

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