लखीसराय, अगस्त 19 -- कजरा। आमतौर पर किसान केले के तने को बेकार समझ कर खेतों में फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। मिट्टी की उपज शक्ति भी कमजोर होती है। किसान सलाहकार अनिल कुमार सिंह ने कहा कि केले के तने से जैविक खाद का निर्माण किया जा सकता है। केले के तने से जैविक खाद बनाने के लिए सबसे पहले एक गड्ढा बनाया जाता है, जिसमें केले के तने को डाल दिया जाता है। फिर उसमें गोबर और खरपतवार को भी डाल दी जाती है। इसके बाद डीकंपोजर का छिड़काव किया जाता है। कुछ दिनों में यह पौधा खाद के तौर पर तैयार हो जाता है। इसके बाद किसान अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए इस जैविक खाद का प्रयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है।

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