कटिहार, जून 8 -- कुरसेला, निज प्रतिनिधि कुरसेला प्रखंड के शाहपुर धर्मी पंचायत स्थित गंगा-कोसी संगम तट, जिसे त्रिमोहिनी संगम भी कहा जाता है, एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। यह वही पवित्र स्थल है, जहां महात्मा गांधी की अस्थियां विसर्जित की गई थीं। अफसोस की बात है कि करोड़ों की लागत से विकसित यह पर्यटन स्थल आज बदहाली और प्रशासनिक उपेक्षा का नमूना बन गया है। आज तक यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। 2018 में तत्कालीन विधायक नीरज यादव के प्रयास से संगम तट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बनी थी। इसमें शौचालय, विश्राम गृह, पार्क, सीमेंट की कुर्सियां, कैंटीन, चहारदीवारी और सुंदर प्रवेश द्वार जैसी सुविधाएं विकसित की गई थी। लेकिन इनका रखरखाव नहीं होने से आज अधिकांश संरचनाएं खंडहर जैसी हो चु...