रायबरेली, जनवरी 29 -- सतांव। साहित्य संगीत और कला के महारथी, कीर्तन की जबाबी विधा के धुरन्धर रचनाकार राजकमल "खुरपेंची" मंगलवार की देर शाम कोन्सा पंचायत के बंडे गांव में ब्रह्मलीन हो गये। वे अपने मित्र कीर्तनकार शशिराज कमल के यहां आए हुए थे। उनके ब्रम्हलीन होने की खबर पाकर लाखों कीर्तन प्रेमी स्तब्ध रह गये। भारी संख्या में उनके चाहने वाले कीर्तन कलाकार अन्तिम दर्शन के लिए गांव पहुंच गये। बुधवार को बाराबंकी स्थित उनके मूल निवास त्रिलोकपुर गांव में अन्तिम संस्कार किया गया।

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