प्रयागराज, नवम्बर 5 -- प्रयागराज। नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग की ओर से 'मधुमक्खी पालन, वर्मी कंपोस्ट और जलीय संवर्धन में एकीकृत प्रथाओं के माध्यम से स्थायी आजीविका' विषय पर छह दिनी कार्यशाला का समापन मंगलवार को हुआ। कुलपति प्रो. रोहित रमेश ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण छात्रों के कौशल विकास और समाज के उत्थान में सहायक हैं। डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि शहद में लगभग 100 ऐसे तत्व होते हैं जो एंटीबायोटिक और एंटीफंगल के रूप में कार्य करते हैं। प्रति कुलपति डॉ. एससी तिवारी ने किसानों को प्रशिक्षण देने की घोषणा की।

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