किशनगंज, अप्रैल 23 -- ठाकुरगंज, एक संवाददाता। सीमांचल में किसानों का रुझान मक्के की खेती की ओर काफी बढ़ रहा है। वहीं कभी पटवा की खेती में अपनी पहचान बनाने वाला सीमांचल के किसान अब पटवा की खेती किनारा करने को मजबूर हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण पटवा की खेती में समय, पैसा, मेहनत ज्यादा लगने के बावजूद उचित मूल्य नही मिल पाना है। वहीं मक्के की खेती में लागत ,समय, मेहनत कम होने के बावजूद पैसे की आमदनी ज्यादा होती है। इस संबंध में सरकारी आंकड़े की बात करें तो प्रखंड कृषि समन्वयक पदाधिकारी धर्मवीर कुमार बताते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्र में विगत चार पांच वर्षों से किसानों का रुझान मक्के की खेती की ओर काफी बढ़ गया है ।वही धीरे-धीरे क्षेत्र से पाठ की खेती विलुप्त होती जा रही है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी श्री कुमार ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व सीमावर्ती क्षेत्र...