वाराणसी, मई 29 -- वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता गेहूं के डंठन से बनी भगवान शिव की आकृति हो या नट बोल्ट, स्प्रिंग, सरिया के टुकड़े से तैयार किए गए श्रीगणेश। ऐसी ही करीब 80 शिल्प कलाकार की कल्पना को सहज दर्शा रही हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों और उत्तराखंड ये कृतियां बड़ालालपुर स्थित पं.दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल लाई गईं हैं। यहां से चयनित कृति को वस्त्र मंत्रालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्पगुरु सम्मान के लिए भेजा जाएगा। हस्तशिल्प के क्षेत्र में शिल्पियों को प्रोत्साहन देने के लिए हर साल बेहतरीन उत्पादों को चुना जाता है। पुरस्कार और सम्मान से इतर ये कृतियां न केवल आकर्षित कर रही हैं बल्कि चकित भी कर रही हैं। बहराइच के शिल्पी ने गेहूं के डंठल से भगवान शिव की आकृति बनाई है तो आगरा के शिल्पी ने नट बोल्ट, स्प्रिंग, सरिया के टुकड़े ...
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