नई दिल्ली, जुलाई 7 -- ऐसा क्यों होता है कि हम जो कुछ भी छूते हैं, वह समस्या में परिवर्तित हो जाता है? हमने ईश्वर को एक समस्या बना दिया है, हमने प्रेम को एक समस्या बना दिया है, हमने संबंध को, जीने को एक समस्या बना दिया है, और हमने काम-वृत्ति को भी एक समस्या बना दिया है। क्यों?... जब तक आप काम-वृत्ति को सोचने वाले मन को नहीं समझ लेते, तब तक यह असाधारण रूप से कठिन एवं जटिल समस्या बनी रहती है। काम-वृत्ति कभी भी समस्या नहीं हो सकती, समस्या उस क्रिया के बारे में सोचने के कारण पैदा होती है। दुनिया भर में कई लोगों को सताने वाली इस यौन समस्या का निराकरण तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक मन को समझ नहीं लिया जाता। हम विचार-क्रिया को यूं ही समाप्त नहीं कर सकते, परंतु जब विचारक का अंत हो जाता है, तब विचार का भी अंत हो जाता है, और विचारक का अंत तभी होता है, ...
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