नई दिल्ली, सितम्बर 17 -- भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने बुधवार को कहा कि कानून की शिक्षा केवल बार और बेंच के लिए पेशेवर तैयार करने तक सीमित नहीं, बल्कि यह ऐसे नागरिकों का निर्माण भी करती है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध हों। मुख्य न्यायाधीश ने '2047 में विधि और न्याय शिक्षा: स्वतंत्रता के 100 वर्षों का एजेंडा' विषय पर यहां प्रथम प्रोफेसर (डॉ.) एन आर. माधव मेनन स्मृति व्याख्यान का उद्घाटन किया। मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि कानून और न्याय तक पहुंच केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार न हो। व्याख्यान देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कानून का अध्ययन कभी भी समाज के वास्तविक संघर्षों से अलग, सीमित दायरे में नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून की शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाने के लिए हमें उन ...