लखनऊ, जून 30 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष एवं एमएलसी डा. लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा है कि डा. आंबेडकर ने संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी शब्द को शामिल न करने का निर्णय कई कारणों से लिया था। उनका मनाना था कि संविधान को एक लचीला और व्यापक दस्तावेज होना चाहिए, जो विभिन्न विचार धाराओं को समायोजित कर सके। 'समाजवादी जैसे विशिष्ट शब्द को शामिल करने से संविधान किसी एक विचारधारा से बंध सकता था, जिससे भविष्य में नीतिगत स्वतंत्रता सीमित हो सकती थी। आंबेडकर का मानना था कि समाजवादी शब्द जोड़ने से यह संदेश जा सकता था कि भारत एक विशेष आर्थिक व्यवस्था के लिए बाध्य है। इसीलिए डा. आंबेडकर ने 4 नवंबर 1948 को संविधान सभा में कहा कि प्रस्तावना में लोकतांत्रिक गणराज्य शब्द भारत के शासन की प्रकृति को स्पष्ट करता है।...
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