अमरोहा, सितम्बर 18 -- रहरा, संवाददाता। घर पर अगर खेती-बाड़ी होती या कमाने का कोई दूसरा जरिया होता तो गांव के परिवार मजदूरी करने देहरादून नहीं जाते। सैलाब के बाद हर किसी की जुबान पर बुधवार को यही सवाल था। घटना की दुखद खबर मिलने के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव निवासी हरीराज सिंह ने बताया कि गांव के 25 से अधिक परिवारों के 100 से ज्यादा लोग लंबे समय से देहरादून के इर्द-गिर्द नदी से बजरी व बजरपुट निकालने का कार्य करते हैं। इन लोगों के पास खेती-बाड़ी या आय का कोई स्रोत नहीं है। ऐसे में मजबूरी इन्हें खींचकर करीब 300 किमी दूर ले गई। नतीजा यह निकला है कि इन परिवारों ने अस्थायी रूप से वहीं अपने शिविर या झुग्गी बना लीं। पंकज का शव बरामद होने व पीतम व पुष्पेंद्र के लापता होने के बाद हर जुबान पर यही चर्चा है कि अगर इनके पास खाने कमाने का ...