मुरादाबाद, अगस्त 16 -- गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्मयोग सभी को अपने जीवन में उतारना चाहिए। युवा, छात्र, कर्मचारी और अधिकारी इसे अपना कर जीवन का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। कर्मयोग ही सही और गलत के प्रतिफल समझने का बेहतर मंच है। यह डिप्रेशन दूर करता है। यह अच्छे जीवन शैली का ज्ञान कराता है। छात्र इसका अनिवार्य रूप से पालन करें। यह विचार समाज कल्याण एवं सैनिक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव एल वेंकटेश्वर लू ने व्यक्त किया। वह शनिवार को टीएमयू में आयोजित कर्मयोग, स्वाधीनता एवं विकसित भारत विषय की गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। बोले,भगवान श्री कृष्ण का कर्म योग, निःस्वार्थ भाव से कर्म करने का मार्ग है। इसका अर्थ है, कर्म करते हुए फल की इच्छा न रखना और अपने कर्तव्यों का पालन करना। कर्मयोग का मूल सिद्धांत है कर्मण्येवाधिका...
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