मुजफ्फर नगर, जून 15 -- नगर में चल रहे जैन समाज के कार्यक्रम में संत आचार्य श्री 108 विमर्श सागरजी मुनिराज ने भक्तों से कहा कि अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए अपने मन को आजाद करना होगा।आप कहते है कि मन आजाद है जबकि ऐसा नहीं है,मन स्वच्छंद है। स्वच्छतां आपकी असली आजादी नहीं है। जहां पर आप धर्म कर्या के लिए स्वतंत्र होते है वो आजादी होती है।यदि आपका मन अधिक समय मंदिर आदि धर्म स्थानों पर लगने लगे तो परिवार के द्वारा आपके उपर प्रतिबंद लगा दिए जाते है। उन्होने कहा कि जागना होगा, कब तक इंसान स्चव्छदंता को ही आजादी मानता रहेगा।आजादी का यह भ्रम आपकों पतन के मार्ग की ओर लेकर बढ रहा है। कर्तव्य पथ पर चलना ही मन की आजादी होती है। अहिंसा, सत्य,अचौर्य,ब्रहार्च, अपरिग्रह आदि व्रत भावना चिंतन के लिए मन को स्वतंत्र कर देना मन की आजादी होती है। धार्मिक चिं...