वाराणसी, मार्च 24 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। सूर्य पुत्र होकर भी सूतपुत्र कहलाने वाले कर्ण की मन:दशा का मार्मिक पक्ष रविवार को काशी के युवा रंगकर्मियों ने अभिनय के माध्यम से अभिव्यक्त किया। अवसर था महाकवि भास रचित संस्कृत नाटक 'कर्णभारम् के मंचन का। यह नाटक बनारस यूथ थियेटर द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विवि के सहयोग से 50 दिवसीय अभिनय कार्यशाला में तैयार किया गया। विवि के योग केंद्र में नाटक का आरंभ युद्ध के लिए तत्पर कर्ण और कुंती के संवाद से हुआ। ऋषि परशुराम के श्राप से कर्ण, अस्त्र-शस्त्र से युक्त होने के बाद भी युद्ध में असहाय था। भगवान इंद्र ने छल से अर्जुन को बचाने के लिए कर्ण का कवच और कुंडल ले लिया। लेकिन कर्ण ने कर्म को प्रधानता दी। उसने युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुआ। उत्कर्ष उपेंद्र सहस्रबुद्धे के निर्देशन में हुए नाटक में...