भुवनेश्वर, फरवरी 13 -- ओडिशा हाईकोर्ट ने हाल ही में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि कानून किसी शिक्षित महिला को केवल गुजारा भत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से बेरोजगार बने रहने की अनुमति नहीं देता। न्यायमूर्ति जी सतपथी की सिंगल बेंच ने कहा, "कानून उन पत्नियों का समर्थन नहीं करता जो सिर्फ गुजारा भत्ता पाने के लिए काम करने या नौकरी ढूंढने से बचती हैं, जबकि उनके पास हायर एजुकेशन और उपयुक्त योग्यता हो।"क्या है मामला? यह टिप्पणी कोर्ट ने एक पति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। पति ने याचिका में पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अपनी पत्नी को धारा 125 सीआरपीसी के तहत 8,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने को कहा गया था। कोर्ट ने दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा की। पति की मासिक शुद्ध आय 32,541 रुपये थी ...