वाराणसी, मई 5 -- वाराणसी, अरविन्द मिश्र। आजीवन बाजार और प्रचार से दूर रहे बाबा शिवानंद के शव पर कबीर कालीन संकट आ गया है। उनके अनुयायी दो विचार धाराओं पर अमल की सोच रहे हैं। संत कबीर के शव को भी कोई दफनाना चाहता था कोई अग्नि का समर्पित करना चाहता था। बाबा शिवानंद के शव के अंतिम संस्कार को लेकर भी कुछ ऐसा ही है। अनुयायियों का बड़ा वर्ग इस पक्ष में है कि बाबा के पार्थिव शरीर का दाह संस्कार हो तो दूसरा पक्ष भू-समाधि देना चाहता है। मंशा यह कि बाबा की स्मृतियां उनके अनुयायियों के बीच बनी रहें। अनुयायी जब चाहें समाधि स्थल पर आकर बाबा से निकटता अनुभव कर सकें। भू-समाधि के लिए दो स्थानों की चर्चा है। एक भूखंड शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर के निकट है। दूसरे स्थान के रूप में बाबा की शिष्या लंदन की डॉ. शर्मिला सिन्हा ने कबीरनगर कॉलोनी स्थित अपना फ्लैट दान...