मधुबनी, मार्च 8 -- मधुबनी। मेघना, जो कभी बंजारा समाज की परंपराओं में बंधी थीं, आज बदलाव की एक मिसाल बन गई हैं। 25 साल की उम्र में पति के निधन के बाद उन्होंने तीन मासूम बच्चों-अजय, विजय और अनीता का पालन-पोषण अकेले किया। उन्होंने एक नई राह चुनी और अपने परिवार को एक सम्मानजनक जीवन दिया। अनपढ़ समाज में जन्मी मेघना ने न केवल खुद को शिक्षित किया बल्कि अपनी डिग्री भी पूरी की। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने से लेकर जागरूकता फैलाने तक, मेघना कंजर समाज को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं। मेघना ने अपने संघर्ष से समाज को जागरूक करने का बीड़ा उठाया और अब तक 50 से अधिक बच्चियों को शिक्षित करने में मदद की है। अपने व्यक्तिगत संघर्षों के बावजूद, मेघना ने मानवता की मिसाल भी पेश की। अस्पताल के बाहर मिली एक अनाथ बच्ची को गोद लेकर उसे पाल रही हैं।...