बुलंदशहर, जून 18 -- बच्चों में किसी भी मानसिक बीमारी से अधिक आटिज्म के मामले सामने आ रहे हैं। अस्पतालों में स्क्रीनिंग बढ़ने के साथ ही बीते दो साल में आटिज्म के शिकार बच्चों की संख्या बढ़ गई है। आटिज्म से पीड़ित लोगों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए हर साल 18 जून को विश्व ऑटिस्टिक प्राइड डे इसी उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य है ऑटिज्म से जुड़े लोगों को गर्व, आत्मसम्मान और समाज में समावेशन का संदेश देना। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि न्यूरोविविधता का एक रूप है। जो सोचने, समझने और महसूस करने का एक अलग तरीका है न्यूरोसाइकेट्रिस्ट डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि समाज में ऑटिज्म को लेकर कई गलतफहमियां और कलंक मौजूद हैं। कई बार ऑटिस्टिक बच्चे और वयस्क उपेक्षा, भेदभाव और सामाजिक अलगाव का शिकार ह...