भागलपुर, जून 18 -- भागलपुर, वरीय संवाददाता गंभीर आपराधिक घटनाओं खासकर जिसमें सात साल से अधिक की सजा हो, वैसी घटनाओं में एफएसएल की जांच की गई है। घटनास्थल पर फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम पहुंचती है और वहां से जरूरी साक्ष्य और नमूने को एकत्रित करती है। फोरेंसिक एक्सपर्ट की संख्या सीमित है। घटनाएं और उनका दायरा बड़ा। ऐसे में एफएसएल के बेजा इस्तेमाल पर रोक को लेकर पहल की जा रही है। इसको लेकर पुलिस मुख्यालय ने भागलपुर सहित सभी जिलों को पुलिस कप्तान को लिखा है और रिपोर्ट तलब की है। पूछा है कि किन घटनाओं में एफएसएल की टीम को घटनास्थल पर भेजना जरूरी नहीं था। इन बिंदुओं पर एफएसएल को लेकर जिलों से रिपोर्ट तलब - एक जुलाई 2024 से 31 मार्च 2025 तक जिले में दर्ज कुल कांडों की संख्या कितनी - उन कांडों की संख्या कितनी थी जिसमें सात साल से कम की सजा का प्रावध...
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