नई दिल्ली, जुलाई 18 -- संजय कुमार झा,राज्यसभा सदस्य, जद-यू एक देश एक चुनाव पिछले कुछ वर्षों से पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत, जो लगभग 1.5 अरब नागरिकों के साथ विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, चुनावों को एक पर्व के रूप में मनाता है, जो इसकी विविधता और बहुलतावाद को दर्शाता है। परंतु वर्ष भर में होने वाले बारंबार चुनाव राष्ट्रीय संसाधनों व प्रशासनिक क्षमता पर गंभीर दबाव डालते हैं। शिक्षक, पुलिस, सरकारी कर्मचारी और बैंक कर्मचारी बारंबार चुनावी कर्तव्य निभाते हैं, जिसके कारण महीनों तक संस्थागत कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, जो विश्व की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है और इसकी क्षमता को साकार करने के लिए सरकारी संसाधनों की आवश्यकता है। वर्तमान में बारंबार होने वाले चुनाव राजकोष को खाली ...