मुरादाबाद, मई 2 -- आजादी के बाद देश में 1952 से लेकर 1967 तक एक साथ चुनाव हुए। कांग्रेस ने1971 में इस परंपरा को ध्वस्त कर दिया। बार-बार चुनाव होने से विकासात्मक गतिविधियां ठप हो जाती है। एक राष्ट्र एक चुनाव की प्रक्रिया लागू होने के बाद परिवारवाद की राजनीति पर रोक लग जाएगी। एक ही परिवार में एक ही व्यक्ति लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ेगा। कोई भी दल एक ही परिवार में पिता-पुत्र, पति-पत्नी, मां-बेटा, पिता-पुत्री को टिकट नहीं देगा। यह बात शुक्रवार को भाजपा महानगर द्वारा पंचायत भवन सभागार में आयोजित एक राष्ट्र एक चुनाव पर प्रबुद्ध समागम में भाजपा प्रदेश महामंत्री व विधान परिषद सदस्य अनूप गुप्ता ने कही। कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव देश के विकास के लिए जरूरी है। इसके लागू होने से देश में बड़ा बदलाव होगा। बार-बार चुनाव से विकास प्रक्रिया बाधित होती...