नई दिल्ली, नवम्बर 2 -- औद्योगिक केंद्रों में रासायनिक दुर्घटनाओं के कारण पैदा होने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए अस्पतालों में क्षमता-निर्माण की शुरू की गई नई पहल सराहनीय है। यह कदम विशेष तौर पर तब अनिवार्य हो जाता है, जब भारत की औद्योगिक विकास दर चार प्रतिशत हो और विनिर्माण क्षेत्र में तेजी के कारण इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि के अनुमान लगाए जा रहे हों। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संयुक्त रूप से यह नई पहल की है और इसके लिए तीन मॉड्यूल तैयार किए गए हैं। इन मॉड्यूल के अनुसार, अस्पतालों को न सिर्फ स्थानीय रासायनिक जोखिम विश्लेषण करना होगा, बल्कि 48 से 72 घंटों के लिए पर्याप्त जीवनरक्षक दवाएं, एंडीडोट्स और वेंटिलेटर सहित तमाम जरूरी चिकित्सा सुविधाएं तैयार रखने को कहा गया है। अ...