दिल्ली, मार्च 17 -- दक्षिण अमेरिकी देश पेरू का एक किसान 10,500 किलोमीटर लंबी यात्रा करके जर्मनी पहुंचा है, वो भी जर्मनी की एक दिग्गज ऊर्जा कंपनी की जबावदेही तय करने.बर्फ से चमकते सफेद धवल पहाड़ और उन पर इठलाते रुई जैसे बादल.सऊल लुसियानो लुलिया इसी नजारे के साथ बड़े हुए हैं.8-10 साल की उम्र में लुलिया गाय चराने के लिए कोडिएंरा ब्लांका के पहाड़ों पर जाते थे.तब चरागाह के ऊपर हिमाच्छादित पर्वत और हिम से बने ठोस ग्लेशियर हुआ करते थे.आज ऐसा लगता है जैसे ग्लेशियर की सिर्फ छाती और सिर ही बचे हों.उसका ज्यादातर हिस्सा पिघल चुका है और ग्लेशियर के ठीक नीचे एक बड़ी झील बन चुकी है.पिघल जाएंगे हिमालय के 75 फीसदी ग्लेशियर: रिपोर्टलुलिया का दावा है कि उनके शहर हुआरास पर इसी झील से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.समुद्र तल से 4,550 मीटर की ऊंचाई पर बनी ग्लेशियर ...