नई दिल्ली, अगस्त 5 -- बहुत सारे लोगों ने 'भक्ति, ज्ञान और ध्यान' के रहस्य को जानने की इच्छा जाहिर की है। आज इसी विषय पर आपसे बात करूंगा। इस संसार में, हमारे जीवन के हर क्षेत्र में हमें अनेक प्रकार के स्वामियों, अधिकारियों और नियंत्रकों का अनुभव होता है। कोई किसी संस्था का प्रमुख होता है, कोई किसी विभाग का, कोई किसी संपत्ति का और कोई किसी शासन व्यवस्था का। परंतु इन सभी के ऊपर एक ऐसी सत्ता है, जो इन सबके संचालन की मूल शक्ति है, यानी परम पुरुष, परमब्रह्म या महेश्वर। संस्कृत में 'ईश' का अर्थ होता है नियंत्रित करना और 'ईश्वर' का अर्थ होता है नियंत्रक। विभिन्न व्यवस्थाओं के अनेक ईश्वर हो सकते हैं, परंतु उन सबके जो नियंता हैं, वह महेश्वर हैं, अर्थात सर्वोच्च! परमसत्ता नियंत्रक ही नहीं, उस शक्ति का स्रोत भी है, जो समस्त ब्रह्मांड को कंपित करती है...