देहरादून, जून 21 -- उत्तराखंड में इस साल अब तक सात बाघों की मौत हुई है, जिनमें से पांच बाघिन हैं। इसके अलावा एक बाघ और एक शावक भी मारे गए। जबकि, पिछले साल भी नौ मौतों में से पांच बाघिनें थीं। बाघ की तुलना में बाघिन की अधिक मौतों ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। उनका कहना है कि बाघिन की मृत्यु अधिक होना गंभीर चिंता का विषय है।बाघों की मौतों की क्या है वजह? राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए दो बाघों के साथ तीन बाघिन को लाया गया है। एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार, इस साल उत्तराखंड में सात बाघों की मौत में से पांच बाघिन थीं, जिनकी मौत के कारण आपसी संघर्ष, बीमारी और सड़क हादसे हैं।विशेषज्ञों ने बताई चिंता की वजह विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी वन्यजीव प्रजाति में मादा की मौत नर की तुलना में कम होनी चाहिए। चाहे वह हाथी...