अल्मोड़ा। मुकेश सक्टा, मार्च 1 -- उत्तराखंड में कमजोर पहाड़ी की ढाल पर बर्फ का लोड अधिक बढ़ने से हिमस्खलन होता है। हिमस्खलन के बाद चट्टान से बर्फ समेत मलबा, बोल्डर आदि ढलान से नीचे की ओर गिरने लगते हैं। अधिकतर 3000 से 3500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर हिमस्खलन होता है। जीबी पंत संस्थान अल्मोड़ा में वैज्ञानिक रहे ई. किरीट कुमार ने कहते हैं कि उत्तराखंड में चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ आदि जिलों के अधिक ऊंचाई वाले हिस्सों में हिमस्खलन की संभावनाएं काफी रहती हैं। जिन पहाड़ियों की ढाल मजबूत नहीं होती। जब उन पर अधिक बर्फ पड़ती है तो पहाड़ी उस बर्फ के बोझ को सहन नहीं पाती। इस कारण पहाड़ी का एक हिस्सा टूट जाता है। हिमस्खलन पर पहाड़ी से बर्फ तो गिरती ही है उसके साथ ही मलबा, बोल्डर आदि भी गिरने लगते हैं। जो कि काफी दूर तक भी नुकसान पहुंचाते हैं। एक ओर ...