गोपेश्वर। क्रान्ति भट्ट, मार्च 1 -- उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में फरवरी-मार्च में ग्लेशियर टूटने, हिमस्खलन और बर्फीले तूफान से नुकसान की पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। तीन वर्ष पहले रैणी के ऊपर हेंगिंग ग्लेशियर टूटने से बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ था। गुरुवार की रात्रि और शुक्रवार को माणा के निकट हिमस्खलन की घटना ने सबका ध्यान एक बार फिर हिमालयी क्षेत्रों की संवेदनशीलता और ग्लेशियर टूटने की घटनाक्रम की ओर खींचा है। माणा और इसके आसपास ग्लेशियर टूटने की यह पहली घटना नहीं है। माणा के ग्राम प्रधान पीताम्बर मोलफा बताते हैं कि 1968 में माणा से कुछ दूरी पर ग्लेशियर टूटने की घटना हुई थी। तब आईटीबीपी के 18 जवान शहीद हो गये थे। हिमालयी क्षेत्र के जानकार महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि फरवरी मार्च में इस ग्लेशियर टूटने और बर्फील...
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