गंगापार, जून 9 -- दो दशक पूर्व क्षेत्र के विभिन्न गांवों में रहे बाग बगीचे सूख रहे हैं। इनमें फलदार वृक्ष आम की तादात अधिक है, जो लोगों के लिए चिन्ता का विषय है। डोरवा गांव के विश्वभंर नाथ पटेल ने बताया कि दो दशक पहले जिन स्थानों पर आम के बगीचे हुआ करते थे, आज वह जगह पूरी तरह सुनसान हो गई। आम के बगीचों में कुछ पुराने पेड़ तेज तूफान की भेंट चढ़ गए तो कुछ को लोगों ने निजी स्वार्थ के चक्कर में लकड़हारों के हाथ बेच दिया। तरहार के परानीपुर, भूईपारा, बारा दशरथपुर, रैपुरा, पकरी सेवार, डोहरिया, नया का पुरा, अटखरिया, शुक्लपुर, परवा, कनिगड़ा सहित ऐसे कई गांव हैं, जहां किसानों के पास खेती से अधिक बाग हुआ करती थी। चिलबिला गांव के संतोष कुमार शुक्ल ने बताया कि वह बचपन में अपने बाबा के साथ बरसात के दिनों में आग के बगीचे में जाते थे। पके आम बीन कर घर लाते र...