पिथौरागढ़, फरवरी 11 -- दारमा,व्यास,चौदास घाटियों को सीबकथोर्न का उत्पादन किया जाएगा। पिथौरागढ़,चमोली,उत्तरकाशी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रुप से पाया जाने वाले सीबकथोर्न का उत्पादन कर हर्बल टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जाएगा। दारमा में सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, बोन, तीजम व व्यास घाटी के बूंदी,चौंदास घाटी के सिरखा,सिरदांग वन पंचायत में इसका उत्पादन होगा। प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने बताया कि परियोजना के माध्यम से स्थानीय काश्तकारों को रोजगार का अवसर मिलेगा। सीबकथोर्न को तरल सोना भी कहा जाता है,जो एक औषधीय पौंधा है। इसकी जडें,बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने व भूमि के कटाव को रोकने में सक्षम हैं। इसका उपयोग कैंसर,मधुमेह,यकृत संबधित बीमारियों,त्वचा रोगों में औषधि के रुप में किया जाता है। सीमांत की महिलाओं को इस संबंध में प्रशिक्ष...