नई दिल्ली, अगस्त 17 -- हर धर्म कहता है, हमारा एक ईश्वर है। वह ईश्वर उस धर्म की मान्यताओं के अनुसार वेशभूषा धारण करके पेश किया जाता है। सबके अपने-अपने ईश्वर होते हैं। किसी एक धर्म का ईश्वर दूसरे धर्म को स्वीकार नहीं होता। लेकिन कभी किसी ने सोचा है कि ईश्वर का कौन सा धर्म होता है? उन्हें क्या पसंद है? यह सवाल इसलिए उठा, क्योंकि आजकल धर्म या ईश्वर को लेकर जो बवाल मचता है, वह व्यर्थ है। जरा बच्चों के मासूम मन में झांककर देखिए, वहां कोई दुविधा या द्वेष है ही नहीं। मुझे याद आती है एक घटना, जो मेरे साथ बचपन में घटी। तब मैं एक ईसाई स्कूल में पांचवीं या छठी कक्षा में पढ़ती थी, नाम था सेंट उरसुला गर्ल्स हाईस्कूल। ईसाई स्कूल था, तो स्वभावत: हर रोज सुबह अंग्रेजी में ईसाई धर्म की प्रार्थना होती थी। हर प्रार्थना आकाश में रहने वाले पिता से की जाती। उसमें...