हनुमान प्रसाद पोद्दार, मार्च 18 -- मनुष्य जब कुछ चाहता है, तो उसे अभाव का अनुभव होता है; परंतु उस अभाव की पूर्ति किस वस्तु से होगी, वह इसे नहीं जानता। बस, उसे विश्वास होता है कि जिस वस्तु से मेरे अभाव की पूर्ति होगी, उसको भगवान जानते हैं और इसलिए वह उस अज्ञात वस्तु के लिए भगवान पर निर्भर करता है। जैसे छोटा शिशु बिस्तर पर पड़ा रोता है, उसे कोई कष्ट है- जाड़ा लग रहा है, मच्छर काट रहे हैं या और कोई पीड़ा है। वह यह नहीं जानता कि किस वस्तु की प्राप्ति होने पर मेरा संकट दूर होगा- वह केवल मां को जानता है और रोकर मां को बुलाता है। मां आकर स्वयं पता लगाती है कि बच्चा क्यों रो रहा है और पता लगाकर स्वयं उसके कष्ट निवारण का उपाय करती है। इसी प्रकार इस अवस्था में भक्त अपने लिए उपयोगी अज्ञात फल के लिए भगवान पर निर्भर करता है और उन्हीं की कृपा से कल्याण...