नई दिल्ली, नवम्बर 1 -- उगऽ हे सूरजदेव भेल भिनसरवा, अरघ के रे बेरवा, पूजन के रे बेरवा हो, बरती पुकारे देव दुनु कर जोरवा, अरघ के रे बेरवा, पूजन के रे बेरवा हो। अर्थात्, हे सूर्य देव, भोर हो गई, अब अर्घ्य देने और पूजन करने का समय आ गया है, आप उदित हों। व्रती दोनों हाथ जोड़कर आपको पुकार रही हैं कि अर्घ्य देने और पूजन करने का यही उपयुक्त समय है। इन भावों को मन में संजोये महिलाएं जब गुजरे मंगलवार की सुबह दिल्ली के घाटों पर पहुंचीं, तो उनकी आस पर ग्रहण लग गया। उनकी लाख गुहार के बावजूद सूर्य देवता कुहासे की मोटी चादर के पीछे छिपे रहे। पिछली शाम भी अस्ताचलगामी सूर्य और उनके बीच दिल्ली का दमघोंटू 'स्मॉग' दीवार की मानिंद अड़ा हुआ था। बताने की जरूरत नहीं कि इनमेें से कई 36 घंटे से निर्जल व्रत पर थीं। इस दौरान दिल्ली की हवा भी 'अति खराब' की श्रेणी में...
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