मुजफ्फरपुर, मई 2 -- मुजफ्फरपुर। इमाम की अहमियत काफी अधिक है, बावजूद वे ही आर्थिक रूप से हाशिये पर हैं। उन्हें महज पांच से सात हजार रुपये तनख्वाह मिलती है, जबकि नमाज पढ़ाने के साथ ही मुस्लिम घरों में फातेहा, मिलाद शरीफ से लेकर मइयत के जनाजे की नमाज तक इमाम ही पढ़ाते हैं। समाज की इतनी बड़ी खिदमत के बाद भी उन्हें वाजिब वेतन नहीं मिल पा रहा है। अपने हक के लिए अब उलेमा आवाज उठा रहे हैं। इसके लिए इमारत शरिया और वक्फ बोर्ड से इमाम का न्यूनतम वेतन तय करने की मांग उठ रही है। इनका कहना है कि 15 हजार रुपये से कम वेतन किसी इमाम का न हो, ताकि उनके परिवार में भी खुशहाली आए। मस्जिदों के इमाम और मदरसों के उलेमा जिले में आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। घर-परिवार से दूर रहकर 24 घंटे समाज की खिदमत करने के बाद भी उन्हें इतनी आमदनी नहीं हो पाती है, जिससे महंगाई ...
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