पलामू, जुलाई 21 -- मेदिनीनगर, प्रतिनिध। इप्टा के संस्कृति पाठशाला की 77वीं कड़ी में रविवार की शाम में साहित्य कल, आज और कल विषय पर संवाद किया गया। मुख्य अतिथि इप्टा झारखंड राज्य परिषद के संरक्षक अहमद बद्र ने कहा कि एक साहित्यकार वह होता है जिसके पास कल, आज और कल होता है। प्रेमचंद के साहित्य में बीते हुए कल, वर्तमान और भविष्य तीनों की गूंज मिलती है। अहमद बद्र ने कहा कि जो साहित्यकार वर्तमान को देखकर भविष्य की कल्पना करता है, वही साहित्यकार वास्तव में जीवित रहता है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशरफ जमाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का साहित्य विविधताओं से भरा है और लोकतांत्रिकता को प्रतिबिंबित करता है। कवि शैलेंद्र कुमार ने साहित्य को एक गतिशील धारा बताते हुए कहा कि यह मानव समाज की भावनाओं, सपनों और उसकी आकांक्षाओं को प्रकट करता है। सच्चा सा...