नई दिल्ली, अक्टूबर 28 -- मानव विकास की पूरी यात्रा इस तथ्य को स्पष्ट करती है कि उसकी वास्तविक प्रगति केवल भौतिक या बौद्धिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। आज के युग में, जब विज्ञान और तकनीक ने जीवन को सुविधाजनक बनाया है, तब भी मनुष्य के भीतर शांति और संतुलन की खोज जारी है। यह खोज तभी पूर्ण होती है, जब कर्म में श्रद्धा, ज्ञान में विनम्रता और भक्ति में आत्म-समर्पण का भाव जुड़ जाए। इसलिए, मानव जीवन का चरम उद्देश्य बाहरी उपलब्धियां नहीं, बल्कि आत्मिक उत्कर्ष है, जहां मनुष्य अपने सीमित 'मैं' से ऊपर उठकर उस अनंत चेतना का अनुभव करे, जो उसके अस्तित्व का मूल है। इच्छा मानव जीवन की सबसे प्रबल प्रेरणा है। यह मनुष्य को निरंतर उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करती है। जब उसने अपने जीवन को बेहतर बनाने का संकल्प लिया, तब पाया कि उसकी प्रगति में अनेक व्यक्तिगत और साम...
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