कुशीनगर, मार्च 17 -- कुशीनगर। हम मोमिन रमज़ान के महीने से सवाब के अलावा कुछ हासिल नहीं करना चाहते। इसीलिए हमारी ज़िन्दगी हर रमज़ान के बाद फ़ौरन फिर उसी पटरी पर आ जाती है, जिस पर रमज़ान से पहले चल रही थी। ये बातें मस्जिद फ़ैज़ाने इश्केरसूल मीरगंज पडरौना के पेश इमाम मोहम्मद नेयमतुल्लाह ने कहीं। उन्होंने कहा कि एक सरसरी निगाह दुनियां पर डाली जाए तो हमें यह देखने को मिलता है कि हर इंसान सबकुछ बहुत जल्दी पा लेने की कोशिश में अंधों की तरह दौड़ रहा है। वह इज्ज़त, दौलत और ऐश-ओ-आराम की हर चीज़ को फ़ौरन पा लेना चाहता है और इसके लिए जो भी उससे बन पड़ता है, कर गुज़रता है। इज्ज़त, दौलत और ऐश-ओ-आराम पाने की तमन्ना करना व उसके लिए कोशिश करना ना कोई गुनाह है और ना कोई बुरी बात। बल्कि हकीक़त यह है कि यह सब चीज़ें इंसान के लिए ही हैं, इनको पाने की कोशिश करने में ईमानदारी ...
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