वाराणसी, सितम्बर 11 -- वाराणसी, हिन्दुस्तान संवाद। पर्यटन के लिए इंग्लैंड के न्यूकैसल शहर से आए भाई-बहन टॉम और श्रीजिया ने बुधवार को काशी में दशाश्वमेध घाट पर अपने माता-पिता और दादा-दादी का श्राद्ध किया। इसकी प्रेरणा उन्हें काशी में श्राद्ध कर रहे सनातनियों के हुजूम को देखकर मिली। टॉम ने जब भारतीयों को समूह में पिंडदान करते देखा तो वह इस प्रक्रिया के बारे में जानने को उत्सुक हुए। अपनी बहन श्रीजिया से सलाह के बाद उन्होंने इसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। पं. देवास पांडेय से यह जानने के बाद कि इस कर्मकांड से अकाल मृत्यु के शिकार लोगों को भी मुक्ति मिलती है, दोनों भाई-बहन पलक झपकते ही अपने माता-पिता की मुक्ति के लिए पार्वण श्राद्ध का विधान करने के लिए तैयार हो गए। टॉम ने पं.देवास से जानना चाहा कि बिना सिर मुड़ाए भी क्या वह कर्मकांड कर स...