सहरसा, नवम्बर 21 -- सहरसा, रंजीत। मोर गांव के रूप में चर्चित आरण में राष्ट्रीय पक्षी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। संरक्षण व सुरक्षा के अभाव में आवारा कुत्ते, बिलार(सियार) जैसे जंगली जानवरों का निवाला बन मोर की संख्या घटती जा रही है। खेतों में कीटनाशक के प्रयोग से दाना चुगने दौरान भी इसकी मौत होती है। विभिन्न कारणों से हुई मौत की वजह से मोर की संख्या घटकर अभी 200 से अधिक ही रह गई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा गणना कराई जाय तो इसकी संख्या बढ़ सकती है। हालांकि, विभाग के द्वारा एक बार भी गणना नहीं कराई गई है। कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा से महज छह किमी दूरी पर स्थित आरण गांव सैकड़ों मोर का बसेरा होने की वजह से काफी चर्चे में आया था। नौ साल पहले 18 दिसंबर 2018 को सात निश्चय यात्रा पर सहरसा पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री नीत...
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