बेंगलुरु, अप्रैल 15 -- कर्नाटक सरकार द्वारा जाति आधारित आरक्षण को 50% की सीमा से अधिक करने की संभावित कोशिश को लेकर एक बार फिर कानूनी बहस छिड़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के 1992 के ऐतिहासिक इंद्रा साहनी मामले में तय की गई 50% आरक्षण की सीमा को तोड़ने का प्रयास कई राज्यों में पहले भी विफल हो चुका है, और अब कर्नाटक का यह कदम भी कठिन न्यायिक जांच का सामना करने के लिए तैयार है।क्या है मामला? कर्नाटक सरकार ने हाल ही में अपनी जातिगत जनगणना के आधार पर सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को वर्तमान 32% से बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश की गई है। यदि यह लागू होता है, तो राज्य में कुल आरक्षण 85% तक पहुंच सकता है, जो सुप्रीम कोर्ट की 5...