नई दिल्ली, सितम्बर 8 -- यह प्रश्न किसी के मन में उठ सकता है कि जब सब कुछ परमात्मा बनाते हैं, तो हर चीज नष्ट क्यों हो जाती है? सृष्टि की मूल वस्तुएं परमात्मा से उत्पन्न होती हैं। किसी चीज की सृष्टि को हम 'संभूति' कहते हैं। जब मनुष्य मौलिक वस्तुओं की सहायता से नई वस्तुएं बनाता है, तो इसे संभूति नहीं कहा जाता। ऐसे मौलिक पदार्थ स्वयं उत्पन्न नहीं होते, लेकिन उनकी सहायता से अन्य वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। संपूर्ण सृष्टि में जो भी वस्तु है, वह परमात्मा की संभूति का परिणाम है। ध्वंस या विनाश को समझना भी आवश्यक है। सामान्य अर्थ में ध्वंस यानी नाश, वह होता है, जब कोई वस्तु नष्ट हो जाती है। विनाश उस अवस्था को कहते हैं, जब वस्तु रूपांतरित हो जाए और उसे अपनी मूल अवस्था में वापस न पाया जा सके। 'प्रणाश' वह है, जब वस्तु का ध्वंस होने के बाद वही वस्तु नई ...
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