नई दिल्ली, नवम्बर 6 -- आपको पता है, डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) किसे कहते हैं? जिसमें जनता अपनी हुकूमत खुद चुने, पर कौन सी जनता? घर में लेटी जनता नहीं, खेत में काम करती जनता नहीं। फैक्टरी या कंपनी में सिर खपाती जनता नहीं? बिजनेस या फिर कॉल सेंटर में जूझी हुई जनता नहीं। जानते हैं, वह जनता कौन होती है, जो लोकतंत्र को गढ़ती है? वह जनता होती है 'मतदाता-सूची' में जिनका नाम हो। जो वोट कर सके। यानी, सारा लोकतंत्र ही मतदाता-सूची पर टिका है और वही अब संदिग्ध हो रही है। आपको यह अधिकार मिला था, जिसे चाहो उसे चुनो। यह अधिकार अगर दीमक चाट गई, तो फिर सिरों की गिनती में तो रहेंगे, मगर कोई अधिकार नहीं रखेंगे। राहुल गांधी ने बड़ी मेहनत से अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके ये खुलासे किए हैं। इसकी गंभीरता को समझिए। चुनाव आयोग हो या कोई भी संस्था, उसे पहले इसकी जांच कर...
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