नई दिल्ली, मई 15 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता बीते कुछ महीनों से महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल रही है। जाहिर है कि इससे आम आदमी का जेब खर्च कम हुआ। खासकर खाद्य वस्तुओं पर होने वाले खर्च में कमी आई होगी लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं निकाला जा सकता है कि लोगों की जेब पर औसत खर्च का बोझ कम हुआ होगा। आंकड़े बताते हैं कि देश में हर व्यक्ति पर करों का बोझ है, जो साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। स्कूलों की फीस 10-20 फीसदी तक बढ़ रही है। सड़क पर गाड़ी चलाना भी पांच से 10 फीसदी तक महंगा हो रही है। आलम यह है कि बीते 10-15 वर्षों के दौरान आम आदमी के ऊपर करों का बोझ बढ़ा है। क्योंकि हर तरह की सेवा पर शुल्क एवं कर वसूला जा रहा है। कुछ नए कर जीवन में जुड़े हैं तो वहीं पूर्व से निर्धारित करों को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है, जिसे कुछ तरह से समझा जा सकता है....
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