नई दिल्ली, जुलाई 3 -- बौद्ध परंपरा में करुणा और प्रेम भरी दया, एक ही सिक्के के दो पहलू माने जाते हैं। करुणा सहानुभूति से भरी एक ऐसी कामना है, जो करुणा की वस्तु, सत्वों को दुख से मुक्त देखना चाहती है। प्रेम भरी दया एक ऐसी कामना है, जो दूसरों का सुख चाहती है। इस संदर्भ में प्रेम व करुणा को सांवृतिक प्रेम (छिपे हुए प्रेम) व करुणा से अलग समझना चाहिए। उदाहरण के लिए, जो हमारे प्रिय हैं, उनके लिए हम एक निकटता के भाव का अनुभव करते हैं। हमारे मन में उनके प्रति करुणा तथा सहानुभूति की भावना होती है। हममें उनके लिए प्रबल प्रेम की भावना होती है, पर अक्सर यह प्रेम या करुणा आत्म संबंधी विचारों पर आधारित होती है- फलां-फलां मेरा मित्र है; मेरा पति, मेरी पत्नी, संतान इत्यादि-इत्यादि। ऐसे प्रेम और करुणा में आसक्ति का पुट होता है, क्योंकि इसमें आत्म संबंधी व...