नई दिल्ली, जून 17 -- आपके मन में उठता होगा कि आध्यात्मिक ऊंचाई प्राप्त करने से क्या लाभ होगा और वहां तक जाने का रास्ता क्या है? दरअसल, मानव का मानसिक बल असीम है, पर अधिकांश लोग इसका उपयोग नहीं कर पाते, क्योंकि उनका समय क्षुद्र विचारों में व्यतीत हो जाता है। इस मानसिक अपव्यय को नियंत्रित करने के तीन मार्ग हैं- शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक। सबसे पहले व्यक्ति को अपनी श्वास प्रक्रिया पर नियंत्रण पाना चाहिए, क्योंकि श्वास की गति का सीधा संबंध विचारों की गति से है। जब मन स्थूल विषयों में उलझा हो, तब श्वास तेज हो जाती है; लेकिन जब वह सूक्ष्म विचारों में लीन हो, तो सांसों की गति मंद हो जाती है। जब श्वास और विचार एक लय में आ जाएं, तो उसे हठयोग समाधि कहा जाता है। इसलिए साधक को अपनी सांसों पर अवश्य नियंत्रण करना चाहिए। दूसरा मार्ग है- तर्कशीलता व व...