टिहरी, अगस्त 30 -- संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की पहल पर संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सौजन्य से टैगोर नेशनल स्कॉलर डॉ. विकास फोंदणी के संयोजन में आधुनिक युग में ढोल और ढोली का सांस्कृतिक महत्व विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। जिसमें विशेषज्ञों ने ढोल सागर, ढोल विधा के बारे में अवगत कराया। डायट सभागार में आयोजित सेमिनार का प्राचार्य डॉ. हेमलता भट्ट ने दीप जलाकर शुभारंभ किया। सुरगंगा संगीत विद्यालय की सांस्कृतिक टीम मीनाक्षी सेमवाल, समीक्षा सेमवाल ने मंगलाचरण से आगाज किया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रो. डीआर पुरोहित ने ढोल को संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण यंत्र बताकर आमजन में इसकी क्या उपयोगिता बताई। वर्तमान दौर में ढोल अंतर्राष्ट्रीय भूमिका में अपनी पहचान बना चुका है। सेमिनार का मुख्य आकर्षण राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित ड...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.