नई दिल्ली, जुलाई 17 -- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि आदिवासी महिला या उसके कानूनी उत्तराधिकारी पैतृक संपत्ति में बराबर के हकदार होंगे। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि महिला उत्तराधिकारी को संपत्ति में अधिकार देने से इनकार करने से लैंगिक विभाजन और भेदभाव बढ़ता है, जिसे कानून द्वारा समाप्त किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि न्याय और समानता के सिद्धांत को लागू करते समय अदालतों को उपरोक्त बातों का ध्यान रखना होगा और इस खुले सिद्धांत को प्रासंगिक रूप से लागू करना होगा। शीर्ष अदालत ने वर्तमान मामले में कहा कि यदि अधीनस्थ अदालत के विचारों को बरकरार रखा जाता है, तो महिला और उसके उत्तराधिकारी परंपरागत रूप से ऐसी विरासत के लिए सकारात्मक दावे के अभाव के आधार पर संपत्ति के अधिकार से वंचित रह जाएंगे। यह फैसला एक ...